वो काला एक बांसुरी वाला, सुध बिसरा गया मोरी रे लिरिक्स (Woh kala ek basuri wala, sudh bisra gaya mori re lyrics in hindi)

वो काला एक बांसुरी वाला: यह भजन श्रीकृष्ण की चंचल लीलाओं और उनके मधुर बाँसुरी वादन का सुंदर वर्णन करता है। इसमें गोपियों की वह अवस्था दिखाई गई है, जब बाँसुरी वाले कन्हैया उनकी सुध-बुध हर लेते हैं और उनके मन पर अधिकार कर लेते हैं। पनघट पर शरारत करते हुए मटकी फोड़ना, बईया मरोड़ना और फिर मधुर तान सुनाकर अचानक ओझल हो जाना – यह सब गोपियों के लिए एक दिव्य जादू जैसा है। वे गोकुल से लेकर मथुरा तक खोजती हैं, पर कहीं भी कृष्ण नहीं मिलते। यह भजन कान्हा के अनुपम आकर्षण, उनकी बाल-चपलता और गोपियों के हृदय में उठने वाली विरह-व्याकुलता का मधुर और भावपूर्ण चित्रण है।

वो काला एक बांसुरी वाला

वो काला एक बांसुरी वाला, सुध बिसरा गया मोरी रे लिरिक्स in hindi

वो काला एक बांसुरी वाला, सुध बिसरा गया मोरी रे,
सुध बिसरा गया मोरी,
माखन चोर जो नंदकिशोर वो, कर गयो मन की चोरी रे,
सुध बिसरा गया मोरी ।।

पनघट पे मोरी बईया मरोड़ी,
मैं बोली तो मेरी मटकी फोड़ी,
पईया परूँ करूँ विनती मैं पर,
माने ना एक वो मोरी रे, सुध बिसरा गया मोरी,
वो काला एक बांसुरी वाला, सुध बिसरा गया मोरी रे,
सुध बिसरा गया मोरी ।।

छुप गयो फिर एक तान सुना के,
कहाँ गयो एक बांण चला के,
गोकुल ढूंढा मैंने मथुरा ढूंढी,
कोई नगरिया ना छोड़ी रे, सुध बिसरा गया मोरी,
वो काला एक बांसुरी वाला, सुध बिसरा गया मोरी रे,
सुध बिसरा गया मोरी ।।

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