यह भजन “मत कर तू अभिमान रे बन्दे” अनूप जलोटा जी द्वारा गाया गया एक गहन जीवन संदेश देने वाला भजन है। इसमें इंसान को अहंकार और झूठे गर्व से दूर रहने की सीख दी गई है। भजन यह बताता है कि माया और शरीर दोनों नाशवान हैं, और सच्चा सुख केवल ईश्वर के नाम का जाप करने से मिलता है। यह भी समझाया गया है कि इस दुनिया में धन, शान और पद सब अस्थायी हैं, लेकिन प्रभु का स्मरण और सच्चे गुण ही अमर रहते हैं। इसलिए इंसान को अपने भीतर की ज्योति पहचानकर, विनम्रता के साथ प्रभु भक्ति करनी चाहिए।
मत कर तू अभिमान रे बन्दे लिरिक्स in hindi
मत कर तू अभिमान रे बन्दे, झूठी तेरी शान रे,
मत कर तू अभिमान ।।
तेरे जैसे लाखो आये, लाखो इस माटी ने खाये,
रहा न नाम निशान ओ बन्दे, मत कर तू अभिमान,
मत कर तू अभिमान रे बन्दे, झूठी तेरी शान रे,
मत कर तू अभिमान ।।
झूठी माया झूठी काया, वो तेरा जो हरिगुण गाया,
जप ले हरी का नाम ओ बन्दे, मत कर तू अभिमान,
मत कर तू अभिमान रे बन्दे, झूठी तेरी शान रे,
मत कर तू अभिमान ।।
माया का अन्धकार निराला, बाहर उज्जला भीतर काला,
इसको तु पेहचान रे बन्दे, मत कर तू अभिमान,
मत कर तू अभिमान रे बन्दे, झूठी तेरी शान रे,
मत कर तू अभिमान ।।
तेर पास हैं हिरे मोती, मेरे मन मंदिर में ज्योति,
कौन हुआ धनवान रे बन्दे, मत कर तू अभिमान,
मत कर तू अभिमान रे बन्दे, झूठी तेरी शान रे,
मत कर तू अभिमान ।।
लिरिक्स – अनूप जलोटा जी
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