पायो जी मैंने राम रतन धन पायो: यह प्रसिद्ध भजन “पायो जी मैंने राम रतन धन पायो” भक्ति की अनमोल धरोहर है, जिसे संत मीरा बाई ने गाया था। इसमें भक्त अपने आपको धन्य मानती है कि उसे संसार के अस्थायी सुखों और धन-दौलत से बढ़कर प्रभु राम का नाम-रत्न मिल गया है। यह ऐसा खजाना है जिसे न कोई चुरा सकता है, न ही जिसका कभी नाश हो सकता है, बल्कि यह दिन-प्रतिदिन बढ़ता ही जाता है। सतगुरु की कृपा से यह अमूल्य धन प्राप्त होता है और इसी के सहारे जीवन का भवसागर पार किया जा सकता है। मीरा बाई इस भजन के माध्यम से यह संदेश देती हैं कि सच्चा धन प्रभु का नाम और उनकी भक्ति है, जो आत्मा को शांति और मुक्ति की ओर ले जाती है।
पायो जी मैंने राम रतन धन पायो लिरिक्स in hindi
पायो जी मैंने राम रतन धन पायो,
पायो जी मैंने राम रतन धन पायो ।।
वस्तु अमोलिक, दी मोरे सतगुरु,
कृपा करि अपनायो,
पायो जी मैंने राम रतन धन पायो,
पायो जी मैंने राम रतन धन पायो ।।
जनम जनम की, पूंजी पायी,
जग में सबी खुमायो,
पायो जी मैंने राम रतन धन पायो,
पायो जी मैंने राम रतन धन पायो ।।
खर्च ना खूटे, चोर ना लूटे,
दिन दिन बढ़त सवायो,
पायो जी मैंने राम रतन धन पायो,
पायो जी मैंने राम रतन धन पायो ।।
सत की नाव, खेवटिया सतगुरु,
भवसागर तरवयो,
पायो जी मैंने राम रतन धन पायो,
पायो जी मैंने राम रतन धन पायो ।।
मीरा के प्रभु गिरिधर नागर,
हरत हरत जस गायो,
पायो जी मैंने राम रतन धन पायो,
पायो जी मैंने राम रतन धन पायो ।।