यह भजन जीवन की नश्वरता और समय के वेग का गहरा संदेश देता है। इसमें बताया गया है कि इंसान खेल-कूद और मौज-मस्ती में समय गंवा देता है, लेकिन जब बुढ़ापा आता है तो पछतावा करता है। भजन समझाता है कि अभी भी देर नहीं हुई है, “राम नाम” का स्मरण करने से जीवन सुधर सकता है और काल का प्रहार टल सकता है। इसमें हरि-नाम की महिमा को अमृत समान बताया गया है और जीवन की डोर भगवान को सौंपने का उपदेश दिया गया है। साथ ही यह चेतावनी भी दी गई है कि जो माया और मन के पीछे चलते हैं, वे दुख और नरक की ओर जाते हैं। इस प्रकार यह भजन भक्ति, आत्मचिंतन और समय के मूल्य को समझने का आह्वान करता है।
राम नाम से तूने बन्दे क्यूँ अपना मुख मोड़ा लिरिक्स in hindi
राम नाम से तूने बन्दे क्यूँ अपना मुख मोड़ा,
दौड़ा जाए रे समय का घोड़ा ।।
इक दिन बीता खेल-कूद में, इक दिन मौज में सोया,
देख बुढ़ापा आया तो, तू पकड़ के लाठी रोया,
अब भी राम सुमिर ले नहीं तो, पड़ेगा काल हथौड़ा,
दौड़ा जाए रे समय का घोड़ा ।।
अमृतमय है नाम हरी का, तू अमृतमय बन जा,
मन में ज्योत जला ले, तू बस हरी के रंग में रंग जा,
डोर जीवन की सौंप हरी को, नहीं पड़ेगा फोड़ा,
दौड़ा जाए रे समय का घोड़ा ।।
क्या लाया क्या ले जायेगा, क्या पाया क्या खोया,
वैसा ही फल मिले यहाँ, जैसा तूने है बोया,
काल शीश पर बैठा इसने, किसी को ना है छोड़ा,
दौड़ा जाए रे समय का घोड़ा ।।
मन के कहे जो चलते हैं वो, दुःख ही दुःख हैं पाते,
माया के वश में जो हैं वो, घोर नरक में जाते,
जो भी अजर-अमर बनते थे, उनका भी भ्रम तोड़ा,
दौड़ा जाए रे समय का घोड़ा ।।