सावन का महीना घटायें घनघोर,
आज कदम्ब की डाली झुले राधा नन्द किशोर ।।
तर्ज – सावन का महीना पवन करे सोर ।
प्रेम हिंडोले बैठे श्याम विहारी,
झूला झुलाये सारी ब्रज की नारी,
जोड़ी लागे प्यारी ज्यूँ चंदा और चकोर,
आज कदम्ब की डाली झुले राधा नन्द किशोर ।।
ठंडी फुहार पड़े मन को लुभाये,
गीत गावें सखियाँ श्याम मुस्कावे,
बंसुरिया बजावे मेरे मन का चितचोर,
आज कदम्ब की डाली झुले राधा नन्द किशोर ।।
जमुना के तट पर नाचे नाचे रे ता ता थैया,
राधा को झुलाये श्याम रास रचैया,
ब्रज में छायी मस्ती और मस्त हुए मनमोर,
आज कदम्ब की डाली झुले राधा नन्द किशोर ।।
देख युगल छवि मन में समायी,
‘श्याम सुन्दर’ ने महिमा गाई,
देख के प्यारी जोड़ी मनवा होये विभोर,
आज कदम्ब की डाली झुले राधा नन्द किशोर ।।
लिरिक्स – श्याम सुंदर शर्मा जी
सावन का महीना घटायें घनघोर लिरिक्स (Sawan ka mahina ghatayein ghanghor bhajan lyrics)
