तेरे पूजन को भगवान, बना मन मंदिर आलीशान लिरिक्स (Tere pujan ko bhagwan bana man mandir aalishan lyrics in hindi)

यह भजन “तेरे पूजन को भगवान, बना मन मंदिर आलीशान” भक्ति और समर्पण का सुंदर संदेश देता है। इसमें भक्त भगवान से कहता है कि वह अपने मन को ही मंदिर बनाकर उनकी पूजा करता है। भजन में बताया गया है कि भगवान हर जगह हैं—जल में, थल में, वन में, फूलों में, पत्तों में और हर दिल में। उनकी लीला असीम है और कोई भी उनकी माया का पूरा भेद नहीं जान सकता। यह भजन हमें सिखाता है कि झूठी दुनिया की माया में न फंसकर, ईश्वर की भक्ति और सच्चे ध्यान से जीवन को कल्याणमय बनाया जाए।

तेरे पूजन को भगवान, बना मन मंदिर आलीशान लिरिक्स
तेरे पूजन को भगवान, बना मन मंदिर आलीशान लिरिक्स

तेरे पूजन को भगवान, बना मन मंदिर आलीशान लिरिक्स in hindi

तेरे पूजन को भगवान, बना मन मंदिर आलीशान ।।

किसने जानी तेरी माया, किसने भेद तुम्हारा पाया,
हारे ऋषी मुनि कर ध्यान, बना मन मंदिर आलीशान,
तेरे पूजन को भगवान, बना मन मंदिर आलीशान ।।

तू ही जल में तू ही थल में, तू ही मन में तू ही वन में,
तेरा रूप अनुप महान, बना मन मंदिर आलीशान,
तेरे पूजन को भगवान, बना मन मंदिर आलीशान ।।

तू हर गुल में तू बुलबुल में, तू हर डाल के हर पातन में,
तू हर दिल में मूर्तिमान, बना मन मंदिर आलीशान,
तेरे पूजन को भगवान, बना मन मंदिर आलीशान ।।

तूने राजा रंक बनाये, तूने भिक्षुक राज बिठाये,
तेरी लीला अजब महान, बना मन मंदिर आलीशान,
तेरे पूजन को भगवान, बना मन मंदिर आलीशान ।।

झूठे जग की झूठी माया, मूर्ख इसमें क्यु भरमाया,
कर जीवन का शुभ कल्याण, बना मन मंदिर आलीशान,
तेरे पूजन को भगवान, बना मन मंदिर आलीशान ।।

इस भजन “तेरे पूजन को भगवान, बना मन मंदिर आलीशान” को पढ़ने और गाने का महत्व बहुत गहरा है।

क्यों पढ़ें यह भजन?

  • यह हमें याद दिलाता है कि ईश्वर किसी बाहरी स्थान तक सीमित नहीं हैं, बल्कि हमारे मन और हर जीव-जंतु में बसे हुए हैं।

  • यह भजन भक्ति, विनम्रता और समर्पण की भावना को जगाता है।

  • झूठी माया और संसारिक मोह से दूर होकर यह हमें आंतरिक शांति और सच्चे सुख की ओर प्रेरित करता है।

  • इसे पढ़ने से मन में सकारात्मकता, सादगी और संतोष की भावना बढ़ती है।

कब पढ़ें यह भजन?

  • सुबह-शाम की प्रार्थना या ध्यान के समय।

  • मंदिर या घर पर पूजा करते समय।

  • जब मन अशांत, दुखी या भ्रमित हो।

  • किसी शुभ कार्य, व्रत या पर्व की शुरुआत से पहले।

  • आत्मिक शांति और ईश्वर से जुड़ाव महसूस करने के लिए किसी भी समय।

इस भजन का पाठ मन को मंदिर बनाकर ईश्वर का वास कराने का सरल और सुंदर साधन है।

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