वृन्दावन का कृष्ण कन्हैया लिरिक्स (Vrindavan ka Krishna Kanhaiya Bhajan Lyrics in Hindi)

वृन्दावन का कृष्ण कन्हैया: यह भजन भगवान श्रीकृष्ण की मधुर लीलाओं और उनके अनुपम आकर्षण का सुंदर वर्णन करता है। इसमें वृन्दावन के कान्हा को सबकी आँखों का तारा बताया गया है, जिनकी बाँसुरी की मधुर धुन सुनकर गोपियाँ सुध-बुध खो बैठती हैं। यमुना तट पर रास रचाते हुए नन्दलाल का अलौकिक रूप और उनकी छवि सावन के मेघ जैसी मनमोहक प्रतीत होती है। यह भजन राधा-कृष्ण के प्रेम, गोपियों की भक्ति और वृन्दावन की अद्भुत आध्यात्मिक अनुभूति को हृदयस्पर्शी ढंग से प्रस्तुत करता है।

वृन्दावन का कृष्ण कन्हैया लिरिक्स

वृन्दावन का कृष्ण कन्हैया लिरिक्स in Hindi

 

वृन्दावन का कृष्ण कन्हैया, सबकी आँखों का तारा,
मन-ही-मन क्यों जले राधिका, मोहन तो है सबका प्यारा ।।

जमुना पट पर नन्द का लाला, जब-जब रास रचाये रे,
तन-मन डोले कान्हा ऐसी, बंसी मधुर बजाये रे,
सुध-बुध भूले खड़ी गोपियाँ, जाने कैसा जादू डारा,
वृन्दावन का कृष्ण कन्हैया, सबकी आँखों का तारा ।।

रंग सलोना ऐसा जैसे, छाई हो घट सावन की,
तेरी मैं तो हुई दीवानी, मनमोहन मन भावन की,
तेरे कारण देख सांवरे, छोड़ दिया मैंने जग सारा,
वृन्दावन का कृष्ण कन्हैया, सबकी आँखों का तारा ।।

लिरिक्स – राजेंद्र कृष्ण जी

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