यह भजन प्रभु भक्ति और समर्पण की गहन भावना को प्रकट करता है। दोहे में सच्चे जीवन का संदेश दिया गया है कि वही आँखें सार्थक हैं जो श्याम का दर्शन करें, वही मुख श्रेष्ठ है जो हरि नाम का जप करे और वही हाथ पवित्र हैं जो भगवान के पूजन में लगें। इसके बाद मीरा की भक्ति का चित्रण किया गया है, जिसमें बताया गया है कि प्रभु प्रेम में डूबी मीरा ने सांसारिक सुख-सुविधाओं को त्यागकर गली-गली में हरि गुण गाना अपना जीवन बना लिया। राणा द्वारा दिए गए विष को भी उन्होंने अमृत मानकर पी लिया और हर दुख-सुख में केवल गोविन्द का नाम लिया। समाज की रोक-टोक से परे मीरा ने संतों के संग रहकर मोहन रंग में रंगना चुना और अपने जीवन को पूर्णतः भगवान के चरणों में समर्पित कर दिया। यह भजन भक्तियोग की सच्ची प्रेरणा देता है।
ऐसी लागी लगन मीरा हो गयी मगन लिरिक्स in hindi
है आँख वो जो श्याम का दर्शन किया करे,
है शीश जो प्रभु चरण में वंदन किया करे,
बेकार वो मुख है जो रहे व्यर्थ बातों में,
मुख वो है जो हरी नाम का सुमिरन किया करे,
हीरे मोती से नहीं शोभा है हाथ की,
है हाथ जो भगवान् का पूजन किया करे,
मर कर भी अमर नाम है उस जीव का जग में,
प्रभु प्रेम में बलिदान जो जीवन किया करे)
ऐसी लागी लगन मीरा हो गयी मगन,
वो तो गली गली हरी गुण गाने लगी,
महलों में पली बन के जोगन चली,
मीरा रानी दीवानी कहाने लगी,
ऐसी लागी लगन मीरा हो गयी मगन ।।
राणा ने विष दिया मानो अमृत पिया,
मीरा सागर में सरिता समाने लगी,
दुःख लाखों सहे मुख से गोविन्द कहे,
मीरा गोविन्द गोपाल गाने लगी,
वो तो गली गली हरी गुण गाने लगी,
ऐसी लागी लगन मीरा हो गयी मगन ।।
कोई रोके नहीं कोई टोके नहीं,
मीरा गोविन्द गोपाल गाने लगी,
बैठी संतो के संग रंगी मोहन के रंग,
मीरा प्रेमी प्रीतम को मनाने लगी,
वो तो गली गली हरी गुण गाने लगी,
ऐसी लागी लगन मीरा हो गयी मगन ।।