चीर के छाती बोले अपनी पवन पुत्र हनुमान,
मेरे मन में बसे हैं राम, मेरे तन में बसे हैं राम ।।
सीता हरण किया रावण ने प्रभु जी थे अकुलाए,
हनुमान ने सीता जी को प्रभु सन्देश सुनाए,
हनुमान जी करते आए प्रभुजी का गुण गान,
मेरे मन में बसे हैं राम, मेरे तन में बसे हैं राम ।।
लगी लक्ष्मण जी को शक्ति देख प्रभु घबराए,
भोर से पहले हनुमान जी धौलागिरि ले आए,
उठ बैठे लक्ष्मण जी लेकर श्री राम का नाम,
मेरे मन में बसे हैं राम, मेरे तन में बसे हैं राम ।।
वानर सेना देखके रावण की सेना घबराई,
पलक झपकते हनुमान ने लंका में आग लगाई,
बोले प्रभु के साथ मिटगये रावण का अभिमान,
मेरे मन में बसे हैं राम, मेरे तन में बसे हैं राम ।।
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