यह मनमोहक और भावपूर्ण भजन “बांके बिहारी की देख छटा” श्रीकृष्ण के रूप, लीलाओं और उनके प्रेममय आकर्षण का सुंदर वर्णन करता है। इसमें भक्त अपने हृदय में बांके बिहारी की छटा देखकर पूरी तरह मोहित और मंत्रमुग्ध हो जाता है।
बांके बिहारी की देख छटा लिरिक्स
बांके बिहारी की देख छटा,
मेरो मन है गयो लटा पटा ।।
कब से खोजूं बनवारी को,
बनवारी को, गिरिधारी को,
कोई बता दे उसका पता,
मेरो मन है गयो लटा पटा ।।
मोर मुकुट श्यामल तन धारी,
कर मुरली अधरन सजी प्यारी,
कमर में बांदे पीला पटा,
मेरो मन है गयो लटा पटा ।।
पनिया भरन यमुना तट आई,
बीच में मिल गए कृष्ण कन्हाई,
फोड़ दियो पानी को घटा,
मेरो मन है गयो लटा पटा ।।
टेडी नज़रें लट घुंघराली,
मार रही मेरे दिल पे कटारी,
और श्याम वरन जैसे कारी घटा,
मेरो मन है गयो लटा पटा ।।
मिलते हैं उसे बांके बिहारी,
बांके बिहारी, सनेह बिहारी,
राधे राधे जिस ने रटा,
मेरो मन है गयो लटा पटा ।।
भजन का भावार्थ
“बांके बिहारी की देख छटा, मेरो मन है गयो लटा पटा” — जब भक्त श्रीकृष्ण (बांके बिहारी) की छटा देखता है, तो उसका मन पूरी तरह मोह और प्रेम में लीन हो जाता है।
“कब से खोजूं बनवारी को, गिरिधारी को, कोई बता दे उसका पता” — भक्त की अभिलाषा है कि वह हर समय कृष्ण की खोज में लगा रहे, क्योंकि उनका ध्यान जीवन का सर्वोच्च आनंद है।
“मोर मुकुट श्यामल तन धारी, कर मुरली अधरन सजी प्यारी, कमर में बांदे पीला पटा” — यह पंक्ति कृष्ण के दिव्य रूप, मुकुट, मुरली और पीले वस्त्र का विवरण करती है, जो उनके मोहक और रमणीय व्यक्तित्व को उजागर करता है।
“पनिया भरन यमुना तट आई, बीच में मिल गए कृष्ण कन्हाई, फोड़ दियो पानी को घटा” — यह ब्रज की लीला और यमुना के किनारे कृष्ण की अद्भुत लीलाओं का स्मरण कराती है।
“टेडी नज़रें लट घुंघराली, मार रही मेरे दिल पे कटारी, और श्याम वरन जैसे कारी घटा” — यहाँ कृष्ण की अद्भुत सुंदरता और आकर्षक दृष्टि के कारण भक्त के मन का विस्मय व्यक्त किया गया है।
“मिलते हैं उसे बांके बिहारी, सनेह बिहारी, राधे राधे जिस ने रटा” — यह पंक्ति बताती है कि जो भक्त राधे-राधे का जप करता है, वह श्रीकृष्ण (बांके बिहारी) के प्रेम और कृपा के पात्र बनता है।
क्यों गाया जाता है यह भजन
-
बांके बिहारी (श्रीकृष्ण) के दिव्य रूप और लीलाओं का स्मरण करने के लिए।
-
भक्त के हृदय में प्रेम, भक्ति और माधुर्य रस जगाने के लिए।
-
जीवन की चिंता और क्लेश से मुक्ति पाने हेतु।
🎵 कब गाएं
-
जन्माष्टमी, राधाष्टमी या ब्रज लीला उत्सव में।
-
मंदिर में भजन संध्या या व्यक्तिगत साधना के समय।
-
जब भक्त श्रीकृष्ण के प्रेम और माधुर्य में लीन होना चाहता हो।
संक्षिप्त भावार्थ
“हे बांके बिहारी! आपकी छटा देखकर मेरा मन पूरी तरह मोह और प्रेम में लीन हो गया। मैं आपकी लीला, सुंदरता और मुरली की मधुर धुन में समर्पित हूँ। राधे-राधे जपते हुए मैं आपकी कृपा और दर्शन की कामना करता हूँ।”
👉यह भजन गाते समय भक्त का मन बांके बिहारी की छटा और लीलाओं में खो जाता है, और उसे अनुभव होता है कि श्रीकृष्ण के प्रेम और माधुर्य का कोई अंत नहीं।





















