यह अत्यंत भावनात्मक और शक्तिशाली भजन “जगदम्बे भवानी मैया, तेरा त्रिभुवन में छाया राज है” देवी माँ की महिमा, करुणा और उनके सर्वव्यापक रूप का स्तुति गीत है। इसमें भक्त माँ की शक्ति, कृपा और संरक्षण की विनम्र प्रार्थना करता है।
जगदम्बे भवानी मैया लिरिक्स in Hindi
जगदम्बे भवानी मैया, तेरा त्रिभुवन में छाया राज है,
सोहे वेश कसुमल निको, तेरे रत्नों का सिर पे ताज है ।।
जब जब भीड़ पड़ी भगतन पर, तब तब आये सहाए करे,
अधम उद्धारण तारण मैया, युग युग रूप अनेक धरे,
सिद्ध करती तू भगतों के काज है, नाम तेरो गरीब नवाज़ है,
सोहे वेश कसुमल निको, तेरे रत्नों का सिर पे ताज है ।।
जल पर थल और थल पर श्रृष्टि, अद्भुत थारी माया है,
सुर नर मुनि जन ध्यान धरे नित, पार नहीं कोई पाया है,
थारे हाथों में सेवक की लाज है, लियो शरण तिहारो मैया आज है,
सोहे वेश कसुमल निको, तेरे रत्नों का सिर पे ताज है ।।
जरा सामने तो आयो मैया, छिप छिप छलने में क्या राज़ है,
यूँ छिप ना सकोगी मेरी मैया, मेरी आत्मा की यह आवाज है ।।
मैं तुमको बुलाऊं तुम नहीं आओ, ऐसा कभी ना हो सकता,
बालक अपनी मैया से बिछुड़ कर, सुख से कभी ना सो सकता,
मेरी नैया पड़ी मझदार है, अब तू ही तो खेवनहार है,
आजा रो रो पुकारे मेरी आत्मा, मेरी आत्मा की यह आवाज है ।।
जगदम्बे भवानी मैया, तेरा त्रिभुवन में छाया राज है,
सोहे वेश कसुमल निको, तेरे रत्नों का सिर पे ताज है ।।
भजन का भावार्थ
यह भजन माता जगदम्बा के सर्वशक्तिमान और दयामयी स्वरूप का गुणगान करता है।
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“तेरा त्रिभुवन में छाया राज है” — माँ का शासन तीनों लोकों (स्वर्ग, पृथ्वी, पाताल) पर है। वे सर्वत्र व्याप्त हैं।
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“जब जब भीड़ पड़ी भगतन पर, तब तब आये सहाए करे” — जब-जब भक्त संकट में पड़ा, माँ ने अवतार लेकर उसकी रक्षा की।
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“थारे हाथों में सेवक की लाज है” — माँ अपने भक्तों की मर्यादा और सम्मान की रक्षा करती हैं।
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“मेरी नैया पड़ी मझदार है, अब तू ही तो खेवनहार है” — जीवन की कठिनाइयों में भक्त माँ से मार्गदर्शन और उद्धार की प्रार्थना करता है।
क्यों गाया जाता है यह भजन
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माँ दुर्गा, भवानी या जगदम्बा की आराधना के समय।
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नवरात्रि, दुर्गा अष्टमी, या देवी जागरण के अवसरों पर।
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जब भक्त अपने जीवन में माँ की कृपा, संरक्षण और आश्रय चाहता हो।
कब गाएं
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आरती या पूजन के समापन में।
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साधना, ध्यान या प्रार्थना के समय।
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देवी माँ के मंदिरों में भक्ति संध्या या कीर्तन में।
संक्षिप्त भावार्थ
“हे जगदम्बे भवानी! तीनों लोकों पर तेरा राज है। तू ही सबकी रचयिता, पालनहार और संहारक है। जब-जब भक्त संकट में पड़ा, तूने उसकी रक्षा की। अब मैं तेरी शरण में हूँ — मेरी नैया को पार लगा दे, मेरे जीवन को तेरा आशीर्वाद मिल जाए।”
यह भजन भक्ति, विश्वास और माँ की कृपा पर अटूट भरोसे का प्रतीक है। इसे गाते समय भक्त का हृदय माँ की ममता, शक्ति और करुणा में पूर्णतः विलीन हो जाता है।










