यह अत्यंत सुंदर और भावपूर्ण भजन “किशोरी कुछ ऐसा इंतजाम हो जाए” श्री राधारानी की अनंत कृपा, प्रेम और भक्तिपूर्ण समर्पण का गुणगान करता है। इसमें भक्त अपनी पूरी श्रद्धा और अनुराग से राधारानी के चरणों में समर्पित होता है और वृंदावन की महिमा, यमुना की शीतलता और रासलीला का अनुभव करता है।
किशोरी कुछ ऐसा इंतजाम हो जाए लिरिक्स
किशोरी कुछ ऐसा इंतजाम हो जाए ।
जुबा पे राधा राधा राधा नाम हो जाए ।।
जब गिरते हुए मैंने तेरे नाम लिया है ।
तो गिरने ना दिया तूने, मुझे थाम लिया है ।।
तुम अपने भक्तो पे कृपा करती हो, श्री राधे ।
उनको अपने चरणों में जगह देती हो श्री राधे ।
तुम्हारे चरणों में मेरा मुकाम हो जाए ।।
मांगने वाले खाली ना लौटे, कितनी मिली खैरात ना पूछो ।
उनकी कृपा तो उनकी कृपा है, उनकी कृपा की बात ना पूछो ।।
ब्रज की रज में लोट कर, यमुना जल कर पान ।
श्री राधा राधा रटते, या तन सों निकले प्राण ।।
गर तुम ना करोगी तो कृपा कौन करेगा ।
गर तुम ना सुनोगी तो मेरी कौन सुनेगा ।।
डोलत फिरत मुख बोलत मैं राधे राधे, और जग जालन के ख्यालन से हट रे ।
जागत, सोवत, पग जोवत में राधे राधे, रट राधे राधे त्याग उरते कपट रे ।।
लाल बलबीर धर धीर रट राधे राधे, हरे कोटि बाधे रट राधे झटपट रे ।
ऐ रे मन मेरे तू छोड़ के झमेले सब, रट राधे रट राधे राधे रट रे ।।
श्री राधे इतनी कृपा तुम्हारी हम पे हो जाए ।
किसी का नाम लूँ जुबा पे तुम्हारा नाम आये ।।
वो दिन भी आये तेरे वृन्दावन आयें हम, तुम्हारे चरणों में अपने सर को झुकाएं हम ।
ब्रज गलिओं में झूमे नाचे गायें हम, मेरी सारी उम्र वृन्दावन में तमाम हो जाए ।।
वृन्दावन के वृक्ष को, मर्म ना जाने कोई ।
डार डार और पात पात में, श्री श्री राधे राधे होए ।।
अरमान मेरे दिल का मिटा क्यूँ नहीं देती, सरकार वृन्दावन में बुला क्यूँ नहीं लेती ।
दीदार भी होता रहे हर वक्त बार बार, चरणों में अपने हमको बिठा क्यूँ नहीं लेती ।।
श्री वृन्दावन वास मिले, अब यही हमारी आशा है ।
यमुना तट छाव कुंजन की जहाँ रसिकों का वासा है ।।
सेवा कुञ्ज मनोहर निधि वन, जहाँ इक रस बारो मासा है ।
ललिता किशोर अब यह दिल बस, उस युगल रूप का प्यासा है ।।
मैं तो आई वृन्दावन धाम किशोरी तेरे चरनन में ।
किशोरी तेरे चरनन में, श्री राधे तेरे चरनन में ।।
ब्रिज वृन्दावन की महारानी, मुक्ति भी यहाँ भारती पानी ।
तेरे चन पड़े चारो धाम, किशोरी तेरे चरनन में ।।
करो कृपा की कोर श्री राधे, दीन जजन की ओर श्री राधे ।
मेरी विनती है आठो याम, किशोरी तेरे चरनन में ।।
बांके ठाकुर की ठकुरानी, वृन्दावन जिन की रजधानी ।
तेरे चरण दबवात श्याम, किशोरी तेरे चरनन में ।।
मुझे बनो लो अपनी दासी, चाहत नित ही महल खवासी ।
मुझे और ना जग से काम, किशोरी तेरे चरण में ।।
किशोरी इस से बड कर आरजू -ए-दिल नहीं कोई ।
तुम्हारा नाम है बस दूसरा साहिल नहीं कोई ।
तुम्हारी याद में मेरी सुबहो श्याम हो जाए ।।
यह तो बता दो बरसाने वाली मैं कैसे तुम्हारी लगन छोड़ दूंगा ।
तेरी दया पर यह जीवन है मेरा, मैं कैसे तुम्हारी शरण छोड़ दूंगा ।।
ना पूछो किये मैंने अपराध क्या क्या, कही यह जमीन आसमा हिल ना जाये ।
जब तक श्री राधा रानी शमा ना करोगी, मैं कैसे तुम्हारे चरण छोड़ दूंगा ।।
बहुत ठोकरे खा चूका ज़िन्दगी में, तमन्ना तुम्हारे दीदार की है ।
जब तक श्री राधा रानी दर्शा ना दोगी, मैं कैसे तुम्हारा भजन छोड़ दूंगा ।।
तारो ना तारो मर्जी तुम्हारी, लेकिन मेरी आखरी बात सुन लो ।
मुझ को श्री राधा रानी जो दर से हटाया, तुम्हारे ही दर पे मैं दम तोड़ दूंगा ।।
मरना हो तो मैं मरू, श्री राधे के द्वार,
कभी तो लाडली पूछेगी, यह कौन पदीओ दरबार ।।
आते बोलो, राधे राधे, जाते बोलो, राधे राधे ।
उठते बोलो, राधे राधे, सोते बोलो, राधे राधे ।
हस्ते बोलो, राधे राधे, रोते बोलो, राधे राधे ।।
भजन का भाव
भजन में बताया गया है कि राधारानी अपनी कृपा से भक्तों को जीवन की सभी कठिनाइयों और दुखों से मुक्त करती हैं। उनके चरणों में भक्त का मन शुद्ध प्रेम और भक्ति के रस में डूब जाता है।
“जुबा पे राधा राधा राधा नाम हो जाए” — भक्त अपने मुख से राधारानी का नाम जप कर उनके प्रेम में रम जाता है।
“तुम अपने भक्तो पे कृपा करती हो, श्री राधे” — यह पंक्ति राधारानी की करुणा और कृपालु स्वभाव को व्यक्त करती है, जो हर भक्त के दुख हरती हैं और उन्हें आनंद प्रदान करती हैं।
भजन में ब्रज की गलियों, यमुना तट, कुंजन और वृंदावन के रंग, रस और आनंद का वर्णन है, जिससे भक्त को यह अनुभव होता है कि वही असली भक्ति और आनंद का स्थल है।
भजन में यह भी बताया गया है कि जहाँ भी भक्त राधारानी के चरणों में प्रेमपूर्वक समर्पण करता है, वही सच्चा सुख और शांति प्राप्त होती है।
🌼 क्यों गाया जाता है यह भजन
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राधारानी के प्रति प्रेम और श्रद्धा व्यक्त करने के लिए।
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भक्त के हृदय में भक्ति, अनुराग और करुणा का भाव जगाने के लिए।
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वृंदावन, यमुना और रासलीला के सौंदर्य और आनंद का स्मरण कराने के लिए।
🎵 कब गाएं
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राधाष्टमी, जन्माष्टमी या रासलीला उत्सव में।
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भजन संध्या या व्यक्तिगत साधना और ध्यान के समय।
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जब भक्त अपने हृदय को राधारानी की कृपा और प्रेम में डुबोना चाहता हो।
✨ संक्षिप्त भावार्थ
“हे राधारानी! आपकी कृपा और प्रेम से भक्तों का जीवन सुखमय और आनंदपूर्ण बनता है। वृंदावन की गलियों में आपके चरणों में समर्पण ही जीवन का सर्वोच्च साधन है और आपका आशीर्वाद जीवन को पूर्णता प्रदान करता है।”
यह भजन गाते समय भक्त का मन राधारानी के प्रेम और करुणा में लीन हो जाता है और उसे अनुभव होता है कि उनका आशीर्वाद जीवन को संतोष, भक्ति और आनंद से भर देता है।
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