बहुत सुंदर और भावपूर्ण भजन है — “मैं तो हूं सांवरिया तेरे चरणों का पुजारी”। यह रचना श्याम प्रेम और पूर्ण समर्पण की गहराई को दर्शाती है। इसमें भक्त ‘बिन्नू जी’ अपने आराध्य श्री खाटू श्यामजी के प्रति प्रेम, कृतज्ञता और भक्ति का भाव अर्पित करते हैं। यह भजन श्यामप्रेमियों के हृदय को भक्ति, प्रेम और कृतज्ञता से भर देता है।
मैं तो हूं सांवरिया तेरे चरणों का पुजारी लिरिक्स
मैं तो हूं सांवरिया, तेरे चरणों का पुजारी,
चरणों का पुजारी, तेरे चरणों का पुजारी ।।
तर्ज – सुनले ओ साँवरिया ।
जब से होश सम्भाला मैने, तुमको अपना माना,
तेरी लीला देख देख के, ये दिल हुआ दिवाना,
मेरे मन को भाये, तेरी सूरत जादुगारी ।।
मेरी खातिर प्यारे तू ने, क्या क्या नहीं किया है,
खुद मुझको भी पता नहीं है, इतना मुझे दिया है,
कैसे चुकाऊं बोलो, तेरा कर्जा सिर पे भारी ।।
लोग तेरा सिणगार सजायें, तूने मुझे सजाया,
जहां जहां तू लेकर जाये, मेरा मान बढ़ाया,
मालामाल हुआ है, प्रभु जो था एक भिखारी ।।
श्याम सदा ही देते रहना, तेरी दया की दौलत,
तेरी कृपा बनी हुई है, ‘बिन्नु’ की ये ईज्जत,
मुझ पर तो चलती है, बस तेरी ही रंगदारी ।।
लिरिक्स – बिन्नू जी
मैं तो हूं सांवरिया तेरे चरणों का पुजारी भजन का भावार्थ
“मैं तो हूं सांवरिया तेरे चरणों का पुजारी” — यह पंक्ति बताती है कि भक्त अपने जीवन का हर क्षण श्याम के चरणों में समर्पित करना चाहता है। उसके लिए श्यामजी ही सब कुछ हैं — उसका आरंभ, अंत और साधना का केंद्र।
श्रद्धा और समर्पण का भाव — भजन में भक्त यह स्वीकार करता है कि उसने जब से होश संभाला है, तभी से श्याम को अपना मान लिया है। प्रभु की लीलाओं और उनके प्रेम ने उसके हृदय को मोह लिया है।
कृतज्ञता और आभार — भक्त प्रभु को धन्यवाद देता है कि उन्होंने उसे असीम कृपा प्रदान की, मान-सम्मान दिया, और जीवन को सुंदर बना दिया। वह स्वीकार करता है कि प्रभु की दया के बिना उसका अस्तित्व अधूरा है।
भक्ति में गौरव और विनम्रता — इस भजन में यह भाव भी झलकता है कि जो भी सफलता या सम्मान भक्त को मिला है, वह केवल श्याम की कृपा से संभव हुआ है। भक्त अपने को प्रभु का दास मानते हुए भी गर्व महसूस करता है कि वह श्यामजी का पुजारी है।
भक्त ‘बिन्नू जी’ का समर्पण भाव — भजन के अंत में कवि ‘बिन्नू जी’ यह कहते हैं कि उनके जीवन की सारी शोभा, मान और प्रतिष्ठा श्याम की कृपा से ही है। उनका सम्पूर्ण जीवन प्रभु की दया पर निर्भर है।
क्यों गाया जाता है यह भजन
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प्रभु श्यामजी के प्रति अपने समर्पण और प्रेम को व्यक्त करने के लिए।
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जीवन में प्राप्त हर सफलता और सुख के लिए प्रभु को धन्यवाद देने हेतु।
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भक्ति, विनम्रता और कृतज्ञता की भावना को प्रकट करने के लिए।
कब गाएं
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खाटू श्यामजी के मंदिर में भजन संध्या या आरती के समय।
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व्यक्तिगत भक्ति, साधना या कीर्तन के अवसर पर।
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जब हृदय में श्यामजी के प्रति आभार और प्रेम उमड़ता हो।
मैं तो हूं सांवरिया तेरे चरणों का पुजारी संक्षिप्त भावार्थ
“हे मेरे सांवरिया श्याम! मैं आपके चरणों का सच्चा पुजारी हूं। आपने मुझे जीवन में सब कुछ दिया — प्रेम, मान और सम्मान। आपकी कृपा और दया ही मेरे जीवन की सबसे बड़ी संपत्ति है। मेरे जीवन का हर क्षण आपके चरणों की सेवा और स्मरण में बीते — यही मेरी एकमात्र प्रार्थना है।”





















