सांचो थारो दरबार, सेवक आयो थारै द्वार लिरिक्स (Sancho tharo darbar sewak aayo thare dwar lyrics in hindi)

यह अत्यंत भावनात्मक और आत्मीय भजन “सांचो थारो दरबार, सेवक आयो थारै द्वार” खाटू श्यामजी के चरणों में एक भक्त के समर्पण, आस्था और जीवन की व्यथा का सजीव चित्रण है। यह भजन उस गहरे भाव को दर्शाता है जब एक भक्त दुनिया के सारे सहारे खोकर अपने सच्चे सहारे — श्री श्याम — के चरणों में आता है। यह भजन गाते समय भक्त की आंखें नम हो जाती हैं और उसका मन श्याम के प्रति अटूट विश्वास से भर जाता है। उसे अनुभव होता है कि संसार की अस्थायी दुनिया में सच्चा स्थायी सहारा केवल श्री श्याम ही हैं — जो हर भक्त के कष्ट हरते हैं और उसे अपने प्रेम में समेट लेते हैं।

सांचो थारो दरबार, सेवक आयो थारै द्वार

सांचो थारो दरबार, सेवक आयो थारै द्वार लिरिक्स

सांचो थारो दरबार, सेवक आयो थारै द्वार,
बाबा ध्यान रखना ।।

तर्ज – होकर दुनिया से दूर ।

घूम्यो सारी दुनियां, मिल्यो ना कोई साथी, जो कह्वै अपना,
संता स सुनी हां, सांचो है एक साथी, श्री श्याम अपना,
श्री श्याम अपना, जग झूठा सपना ।।

बाबा थारो टाबर, बड़ो ही दुखियारो, सतावै है जहां,
थे ही मेरा सब कुछ, पिता और माता, मैं जाऊँगा कहाँ,
मैं जाऊँगा कहाँ, बस रहूँगा यहाँ ।।

लाखों की बनाया हो, मेरो भी संवारोगा, कारज जरुर,
मेरी छोटी नैया, खावै है हिचकोला, ओ मेरे हजूर,
ओ मेरे हजूर, माफ करना कसूर ।।

फूलां स सजावां, थारी या फुलवारी, पधारो घनश्याम,
भगतां बीच बैठो, सुणो थे सैंकी अर्जी, जो लेवे थारो नाम,
जो लेवे थारो नाम, श्री श्याम, श्याम, श्याम ।।

भजन का भाव

“सांचो थारो दरबार, सेवक आयो थारै द्वार” — इस पंक्ति में भक्त यह स्वीकार करता है कि प्रभु श्याम का दरबार ही सच्चा है, बाकी सब संसार छलावा है। वह अपनी सभी आशाएं, दुख और प्रार्थनाएं प्रभु के चरणों में अर्पित करता है।

सच्चे सहारे की खोज — भक्त कहता है कि उसने पूरी दुनिया घूम ली, पर कोई अपना नहीं मिला। तब उसे यह एहसास होता है कि सच्चा साथी और रक्षक केवल श्री श्याम हैं, जो हर परिस्थिति में साथ निभाते हैं।

प्रभु को माता-पिता मानना — यह भाव अत्यंत कोमल और गहरा है। भक्त कहता है कि जब संसार से कोई सहारा नहीं मिलता, तब वह बाबा श्याम को ही अपना पिता, माता और परिवार मानता है। उसकी सारी आशाएं अब प्रभु से ही जुड़ी हैं।

आस्था और विश्वास की गहराई — भक्त विश्वास के साथ कहता है कि जैसे प्रभु ने लाखों का उद्धार किया है, वैसे ही वह उसके छोटे से जीवन को भी संभाल लेंगे। उसके कष्टों की नैया को पार लगाने वाले केवल बाबा श्याम हैं।

सेवा और भक्ति का भाव — अंत में भक्त कहता है कि वह प्रभु के लिए फूलों से उनकी फुलवारी सजाएगा, उनके दरबार में बैठे भक्तों के साथ नाम जपेगा, और यही उसकी सच्ची आराधना होगी।

🌼 क्यों गाया जाता है यह भजन

  • जब मन दुख और असहायता से भर जाता है और केवल प्रभु ही सहारा दिखाई देते हैं।

  • बाबा श्यामजी के दरबार में समर्पण और आस्था व्यक्त करने के लिए।

  • प्रभु की करुणा और कृपा का अनुभव करने और उन्हें धन्यवाद देने हेतु।

🎵 कब गाएं
  • खाटू श्यामजी के दरबार, मंदिर या भजन संध्या में।

  • जब मन निराश, उदास या जीवन से थका हुआ महसूस करे।

  • व्यक्तिगत साधना, आरती या प्रभु स्मरण के समय।

संक्षिप्त भावार्थ
“हे खाटू श्याम! यह सेवक आपके सच्चे दरबार में शरण लेने आया है। संसार में कहीं सच्चा सहारा नहीं मिला, अब केवल आप ही मेरे रक्षक, मार्गदर्शक और सहारे हैं। कृपा करके मेरे जीवन की नैया को पार लगाओ और अपने प्रेम से मेरे हृदय को भर दो।”

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