यह भजन “पंछी थारे पिंजरीये रा श्याम” अत्यंत भावनात्मक और भक्ति से परिपूर्ण रचना है, जिसे श्रद्धालु बाबा श्याम (खाटू श्याम जी) के चरणों में आत्मसमर्पण की भावना से गाते हैं। इसमें भक्त अपने को एक “पंछी” मानकर बाबा श्याम की “पिंजरी” में सुरक्षित रहने की इच्छा व्यक्त करता है।
पंछी थारे पिंजरीये रा श्याम लिरिक्स
पंछी थारे पिंजरीये रा श्याम,
थे जइयां राखो, हस के रह लेस्यूं बाबा श्याम ।।
जीवन म्हारो सूंप दियो थाने श्याम,
जीवन म्हारो सूंप दियो थाने श्याम,
काई मोल लगास्यो, राखो चरणा में म्हाने श्याम ।।
मनडो लोभी ई की कस दयो लगाम,
मनडो लोभी ई की कस दयो लगाम,
या दुनिया झूठी, आसी ना कोई म्हारे काम ।।
नहीं ओलमो देऊ थाने श्याम,
नहीं ओलमो देऊ थाने श्याम,
थे बहुत निभाया, म्हारे जिसा ने बाबा श्याम ।।
जबरन नाहीं पाछे पड्यो हूँ श्याम,
जबरन नाहीं पाछे पड्यो हूँ श्याम,
थे जाल बिछाया, ‘मोहित’ खातिर जी बाबा श्याम ।।
लिरिक्स – मोहित कनोई जी
भजन का भावार्थ
- इस भजन में कवि मोहित कनोई जी ने एक अद्भुत भक्ति भाव व्यक्त किया है —
- भक्त कहता है कि “हे श्याम, मैं आपका पंछी हूँ, मुझे अपनी पिंजरी (शरण) में रखो। जीवन मैंने आपको समर्पित कर दिया है। अब आप ही मेरे रखवाले हैं।”
- यह भजन पूर्ण रूप से समर्पण, विश्वास और प्रेम का प्रतीक है।
भक्ति भाव की व्याख्या
- पंछी थारे पिंजरीये रा श्याम,
थे जइयां राखो, हस के रह लेस्यूं बाबा श्याम ।।
भक्त कहता है — हे श्याम, मैं आपका पंछी हूँ, आपकी पिंजरी में रहकर ही मुझे आनंद है। मुझे बस आपकी शरण चाहिए।
- जीवन म्हारो सूंप दियो थाने श्याम,
- काई मोल लगास्यो, राखो चरणा में म्हाने श्याम ।।
मेरा जीवन अब आपका है, प्रभु। इसका कोई मूल्य नहीं, बस मुझे अपने चरणों में रख लो।
- मनडो लोभी ई की कस दयो लगाम,
- या दुनिया झूठी, आसी ना कोई म्हारे काम ।।
मेरा मन बड़ा चंचल है, इसे रोकना कठिन है। यह दुनिया झूठी है, इसमें कुछ भी स्थायी नहीं।
- नहीं ओलमो देऊ थाने श्याम,
- थे बहुत निभाया, म्हारे जिसा ने बाबा श्याम ।।
मैं अब किसी और को नहीं मानूँगा, क्योंकि आपने मेरा साथ हर परिस्थिति में निभाया है।
- जबरन नाहीं पाछे पड्यो हूँ श्याम,
- थे जाल बिछाया, ‘मोहित’ खातिर जी बाबा श्याम ।।
मैं अपने आप नहीं आया प्रभु, आप ही ने प्रेम का जाल बिछाया और मुझे अपनी भक्ति में बाँध लिया।
भजन का सार
-
यह एक भक्ति और समर्पण का गीत है।
-
इसमें भक्त अपनी असहायता और प्रभु पर पूर्ण विश्वास प्रकट करता है।
-
“पंछी” प्रतीक है — आत्मा का, जो श्याम की “पिंजरी” यानी शरण में सुरक्षित रहना चाहती है।
-
“श्याम” यहाँ सर्वशक्तिमान रक्षक के रूप में विराजमान हैं।
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