यह अत्यंत सुंदर और भावपूर्ण भजन “तेरी गलियों का हूँ आशिक़, तू एक नगीना है” भगवान श्री श्याम (खाटू श्याम) के प्रति भक्त के गहरे प्रेम, समर्पण और भावनात्मक जुड़ाव को दर्शाता है। इसमें भक्त अपने आराध्य श्याम को अपना सब कुछ मानकर उनकी गलियों में ही जीने-मरने की इच्छा प्रकट करता है। यह भजन भक्ति, प्रेम और विरह का अद्भुत संगम है।
तेरी गलियों का हूँ आशिक़ तू एक नगीना है लिरिक्स
तेरी गलियो का हु आशिक तू एक नगीना है,
तेरी नजरो से ये मुझे जाम पीना है,
तेरी गलियों का हूँ आशिक़, तू एक नगीना है ।।
तेरे बिन एक पल में जी नहीं सकता,
ये जुदाई ये दर्द को में पी नहीं सकता,
तेरी गलियों में सांवरे मरना जीना है,
तेरी गलियों का हूँ आशिक़, तू एक नगीना है ।।
मेरे हम दम मेरे साथी मेरे साथी हम दम,
तेरी ख़ुशी मेरी ख़ुशी तेरा गम मेरा गम,
तू लहू है जान है तू ही पसीना है,
तेरी गलियों का हूँ आशिक़, तू एक नगीना है ।।
तेरे सिवा कोई दूसरा नहीं मेरा,
छोडू नहीं कस के पकड़ा है दामन तेरा,
तू ही मक्का तू ही काबा तू ही मदीना है,
तेरी गलियों का हूँ आशिक़, तू एक नगीना है ।।
चाहे दोजख चाहे जन्नत में पंहुचा दे मुझको,
या डूबा दे चाहे पार लगा दे मुझको,
तू ही दरिया तू ही साहिल तू ही सफीना है,
तेरी गलियों का हूँ आशिक़, तू एक नगीना है ।।
दिया है दर्द जो तुमने तुम्ही दवा देना,
कही ना कही कभी ना कभी तेरा दर्शन होगा,
तेरी गलियों में सांवरे मरना जीना है,
तेरी गलियों का हूँ आशिक़, तू एक नगीना है ।।
भजन का भाव
भक्त कहता है — “तेरी गलियों का हूँ आशिक़, तू एक नगीना है”, अर्थात् हे श्याम! मैं तेरी गलियों का दीवाना हूँ, तेरा रूप, तेरा नाम मेरे लिए सबसे अनमोल रत्न है।
यह भजन एक ऐसे प्रेमी भक्त की भावना को दर्शाता है जो अपने आराध्य से एक पल की भी दूरी सह नहीं सकता। वह कहता है कि तेरे बिना जीना असंभव है, और तेरी गलियों में ही मेरा जीवन और मृत्यु दोनों बसते हैं।
कवि आगे कहता है कि श्याम उसके हमदम, साथी और जीवन का सार हैं। उनकी खुशी में उसकी खुशी है, उनके दुःख में उसका दुःख। श्याम ही उसकी सांसों, उसके लहू और उसकी आत्मा में बसे हुए हैं।
भक्त अपने समर्पण की चरम सीमा व्यक्त करते हुए कहता है कि अब श्याम के सिवा कोई दूसरा नहीं, उन्होंने उनके चरणों का दामन पकड़ लिया है। श्याम ही उसके मक्का, काबा और मदीना हैं — यानी सब कुछ वही हैं।
अंत में, भक्त कहता है कि चाहे प्रभु उसे जन्नत दें या दोज़ख भेजें, डूबाएँ या पार लगाएँ, सब स्वीकार है — क्योंकि श्याम ही उसके दरिया, साहिल और सफीना हैं। वे ही दर्द देते हैं और वही उसकी दवा भी हैं।
क्यों गाया जाता है यह भजन
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श्याम प्रभु के प्रति अपनी निष्ठा और प्रेम को व्यक्त करने के लिए।
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मन को भक्ति, प्रेम और माधुर्य रस से भरने के लिए।
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जीवन के हर सुख-दुःख में प्रभु के साथ एकत्व का अनुभव करने के लिए।
कब गाएं
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खाटू श्याम भजन संध्या या संकीर्तन के समय।
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खाटू धाम यात्रा या दर्शन के दौरान।
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जब मन प्रेम, विरह या समर्पण के भाव से भरा हो।
संक्षिप्त भावार्थ
“हे सांवरे श्याम! मैं तेरी गलियों का आशिक हूँ। तेरे बिना जीवन अधूरा है। तू ही मेरी मंज़िल, मेरा सहारा और मेरा सब कुछ है। तेरे दिए हुए दर्द भी मेरे लिए प्रसाद समान हैं, क्योंकि तू ही दाता भी है और औषधि भी। तेरी गलियों में ही मेरा जीना-मरना है।”
यह भजन गाते समय भक्त का मन पूर्णतः श्याम प्रेम में डूब जाता है। उसे अनुभव होता है कि जब तक श्याम उसके साथ हैं, तब तक कोई दुःख, भय या कमी नहीं रह सकती।
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