यह भक्ति से परिपूर्ण आरती “श्री राधा मोहन श्याम शोभन” भगवान श्रीकृष्ण और राधारानी की दिव्य सुंदरता, आनंदमय स्वरूप और कृपा का गुणगान करती है। इसमें प्रेम, ज्ञान, और भक्ति तीनों का अद्भुत संगम देखने को मिलता है।
श्री राधा मोहन श्याम शोभन अंग पट पीताम्बरं लिरिक्स
श्री राधा मोहन श्याम शोभन, अंग पट पीताम्बरं,
जयति जय जय, जयति जय जय, जयति श्री राधा वरं ।।
आरती आनंदघन घनश्याम की अब कीजिये,
कीजिये विनती हमें शुभ लाभ निश्चय दीजिये,
दीजिये निज भक्ति का वरदान श्री धर गिरिधरम,
जयति जय जय, जयति जय जय, जयति श्री राधा वरं ।।
भाग्य दे हमको अभय शिव कामना कल्याण की,
दे सुमति सुन्दर हमे सुन्दर सरस गुणगान की,
ज्ञान घन विज्ञान घन श्री भक्तवत्सल सुन्दरम,
जयति जय जय, जयति जय जय, जयति श्री राधा वरं ।।
लिरिक्स – पंडित नरेंद्र शर्मा
आरती का भावार्थ
इस आरती में भक्त भगवान श्री राधा-कृष्ण से विनती करता है कि वे कृपा कर अपने भक्तों को भक्ति, ज्ञान और कल्याण का वरदान दें।
“श्री राधा मोहन श्याम शोभन, अंग पट पीताम्बरं” — यह पंक्ति श्रीकृष्ण के पीताम्बर वस्त्र धारण किए हुए रूप की मनोहर छवि का वर्णन करती है।
“आरती आनंदघन घनश्याम की अब कीजिये” — इसका अर्थ है कि प्रभु श्रीकृष्ण आनंद के सागर हैं, और उनकी आरती करने से मन और आत्मा दोनों पवित्र और प्रसन्न हो जाते हैं।
“दीजिये निज भक्ति का वरदान श्री धर गिरिधरम” — यहाँ भक्त निवेदन करता है कि उसे केवल प्रभु की सच्ची भक्ति मिले, क्योंकि वही जीवन का सर्वोच्च वरदान है।
क्यों गाई जाती है यह आरती
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श्री राधा-कृष्ण की कृपा और भक्ति प्राप्त करने के लिए।
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ज्ञान, विवेक और सुमति की कामना हेतु।
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जीवन में शुभता, कल्याण और प्रेम की वृद्धि के लिए।
🎵 कब गाएं
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मंदिरों में राधा-कृष्ण की आरती के समय।
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संध्या, प्रातः या भजन सत्रों में।
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विशेष अवसरों जैसे जन्माष्टमी, राधाष्टमी या पूजा-अर्चना के दौरान।
संक्षिप्त भावार्थ
“हे श्री राधा-कृष्ण! आप आनंद के सागर, प्रेम और करुणा के अवतार हैं। हमें अपनी शरण में लेकर भक्ति, ज्ञान और कल्याण का वरदान दीजिए। आपकी आरती करने से ही मन को सच्चा आनंद और जीवन को सच्चा अर्थ मिलता है।”





















