कन्हैया तो हमारा साथी है लिरिक्स (Kanhaiya to hamara sathi hai lyrics in hindi)

यह अत्यंत मधुर और प्रेरणादायक भजन “कन्हैया तो हमारा साथी है” भक्त और श्रीकृष्ण (कान्हा) के प्रेम, विश्वास और अटूट संबंध का सजीव चित्रण करता है। इसमें भक्त यह प्रकट करता है कि भगवान कन्हैया सदैव अपने भक्तों के साथ रहते हैं, उनका सहारा बनते हैं और जीवन के हर कठिन मार्ग पर उनका मार्गदर्शन करते हैं। भजन “कन्हैया तो हमारा साथी है” श्रीकृष्ण के प्रति भक्त के गहरे प्रेम और अटूट विश्वास का प्रतीक है। यह दर्शाता है कि जो व्यक्ति कान्हा को सच्चे मन से पुकारता है, उसके जीवन से हर अंधकार मिट जाता है और हर कठिनाई में भगवान स्वयं उसका सहारा बनते हैं।

कन्हैया तो हमारा साथी है लिरिक्स

कन्हैया तो हमारा साथी है लिरिक्स in Hindi

जब जब भी इन्हें पुकारा, कान्हां ने दिया सहारा,
ये दूर नहीं है हमसे, बस याद करो इन्हें मन से,
कन्हैया तो… हमारा साथी है, गरीबों का… सहारा है ।।

तर्ज – सूरज कब दूर गगन से ।

हमसे दूर नहीं है, करता है रखवाली,
जिसने किया भरोसा, कान्हा ने डोर सम्भाली,
जो इनके पाँव पकड़ले, ये उसका हाथ पकड़ले ।।
कन्हैया तो… हमारा…।।

अपने भगत पे हमेशा, दया किया करते हैं,
उसको पार लगाये, जो नाम लिया करते हैं,
ये चार दिनों का जीवन, कान्हा को कर दे अर्पण ।।
कन्हैया तो… हमारा…।।

इनका साथ मिले तो, हर मुश्किल टल जाये,
हो घनघोर अन्धेरा, मंजिल मिल ही जाये,
बिन पानी नाव चला दे, ‘बनवारी’ बिगड़ी बना दे ।।
कन्हैया तो… हमारा…।।

लिरिक्स – जय शंकर चौधरी जी 

भजन का भावार्थ एवं सार

भक्त इस भजन के माध्यम से यह भाव व्यक्त करता है कि श्रीकृष्ण किसी से दूर नहीं हैं — वे हर उस हृदय में निवास करते हैं जो उन्हें सच्चे मन से पुकारता है। “कन्हैया तो हमारा साथी है” केवल एक पंक्ति नहीं, बल्कि आस्था, प्रेम और भरोसे की परिभाषा है।

पहला पद:

“जब जब भी इन्हें पुकारा, कान्हां ने दिया सहारा…”
यहाँ भक्त कहता है कि जब भी उसे जीवन में कठिनाई आई, कान्हा ने उसे संभाला।
वे केवल मंदिरों में नहीं, हमारे मन में बसते हैं।
सच्चे मन से जो उन्हें याद करता है, उन्हें अपने जीवन में उनका स्नेह और मार्गदर्शन प्राप्त होता है।

दूसरा पद:

“हमसे दूर नहीं है, करता है रखवाली…”
भगवान कृष्ण को यहाँ रक्षक और सखा के रूप में दर्शाया गया है।
जो उन पर विश्वास करता है, कान्हा स्वयं उसकी डोर थाम लेते हैं।
भक्त कहता है — “जो इनके पाँव पकड़ लेता है, ये उसका हाथ थाम लेते हैं।”
यह प्रेम और भक्ति के परस्पर संबंध का सुंदर चित्रण है।

तीसरा पद:

“अपने भगत पे हमेशा, दया किया करते हैं…”
कान्हा अपने भक्तों पर सदैव कृपा बरसाते हैं।
जो उनका नाम जपते हैं, वे जीवन-सागर से पार लगते हैं।
भक्त यहाँ यह संदेश देता है कि जीवन केवल चार दिनों का है, इसलिए इसे श्रीकृष्ण को अर्पण कर देना ही सच्चा सुख है।

चौथा पद:

“इनका साथ मिले तो, हर मुश्किल टल जाये…”
भक्त कहता है — अगर कान्हा का साथ मिल जाए, तो घनघोर अंधकार में भी राह मिल जाती है।
वे बिना पानी नाव चला सकते हैं, यानी असंभव को संभव कर देते हैं।
भजन के रचयिता जय शंकर चौधरी ‘बनवारी’ जी कहते हैं कि कान्हा बिगड़ी तक बना देते हैं।

क्यों गाया जाता है यह भजन:

  • भगवान श्रीकृष्ण के प्रति प्रेम और विश्वास व्यक्त करने के लिए।

  • जीवन की कठिनाइयों में मानसिक शांति और सहारा पाने हेतु।

  • भक्ति भाव और समर्पण को जागृत करने के लिए।

कब गाएं:

  • भजन संध्या या श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के अवसर पर।

  • व्यक्तिगत साधना, ध्यान या आरती के समय।

  • जब मन को सुकून और आत्मबल की आवश्यकता हो।

कन्हैया तो हमारा साथी है Video Song:

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