श्याम का निशान,लहराने लगा है लिरिक्स (Shyam ka nishan lahrane laga hai lyrics in hindi)

यह अद्भुत और प्रेरणादायक भजन — “कलयुग जैसे जैसे गहराने लगा है, श्याम का निशान लहराने लगा है” — वर्तमान युग कलयुग में प्रभु खाटू श्याम की बढ़ती महिमा और सर्वव्यापक भक्ति का वर्णन करता है। यह गीत न केवल भक्ति से परिपूर्ण है, बल्कि भक्तों को यह स्मरण कराता है कि जब संसार में अंधकार बढ़ता है, तब श्याम का प्रकाश ही सबको राह दिखाता है।

श्याम का निशान,लहराने लगा है लिरिक्स

श्याम का निशान,लहराने लगा है लिरिक्स

कलयुग जैसे जैसे, गहराने लगा है,
श्याम का निशान, लहराने लगा है ।।

कलयुग में बस एक आधारा,
खाटूवाला श्याम हमारा,
इनकी शरण में जो भी आया,
कहीं जगत में वो ना हारा,
घर घर कीर्तन श्याम का, अब होने लगा है,
श्याम का निशान, लहराने लगा है ।।

त्रेता युग में राम बने है,
द्वापर में बन गए कन्हैया,
कलयुग में श्री श्याम बने है,
पार लगाते सबकी नैया,
बच्चा बच्चा नाम तेरा, गाने लगा है,
श्याम का निशान, लहराने लगा है ।।

सारे संकट मिट जाते है,
श्याम की महिमा जो गाते है,
कृष्णा सर पर हाथ फिराते,
साचे मन से जो ध्याते है,
भक्तों का कल्याण, अब होने लगा है,
श्याम का निशान, लहराने लगा है ।।

लिरिक्स – विकास अग्रवाल (कृष्णा)

भजन का भावार्थ (Meaning & Bhavarth)

“कलयुग जैसे जैसे गहराने लगा है, श्याम का निशान लहराने लगा है”

भक्त कहता है — जैसे-जैसे कलयुग का अंधकार, पाप और असत्य बढ़ रहा है, वैसे-वैसे खाटू श्याम जी की महिमा और भक्ति भी फैलती जा रही है।
यह संकेत है कि प्रभु का झंडा (निशान) हर हृदय में लहराने लगा है।

“कलयुग में बस एक आधारा, खाटूवाला श्याम हमारा”

यहाँ भक्त स्पष्ट करता है कि इस युग में जब धर्म, सत्य और आस्था कमजोर हो रहे हैं, तब एकमात्र सहारा है — खाटूवाला श्याम।
जो भी उनके चरणों की शरण में आता है, वह कभी हारता नहीं।

“घर घर कीर्तन श्याम का अब होने लगा है” —
यह बताता है कि आज हर घर, हर नगर में श्याम का नाम गूंज रहा है — उनकी भक्ति का प्रसार स्वयं प्रभु की कृपा से हो रहा है।

“त्रेता युग में राम बने हैं, द्वापर में बन गए कन्हैया”

कवि बड़ी सुंदरता से बताते हैं कि एक ही परमात्मा अलग-अलग युगों में भिन्न रूपों में अवतरित हुए —

  • त्रेता युग में श्रीराम के रूप में,

  • द्वापर युग में श्रीकृष्ण के रूप में,

  • और कलयुग में खाटू श्याम जी के रूप में।

“पार लगाते सबकी नैया” —
श्याम जी इस युग में सबकी नैया पार लगाते हैं — यानी जो भी भक्त सच्चे मन से उन्हें याद करता है, उसका उद्धार होता है।

“सारे संकट मिट जाते हैं, श्याम की महिमा जो गाते हैं”

भजन का यह भाग भक्तों के लिए आश्वासन है।
जो श्रद्धा से श्याम जी की महिमा का कीर्तन करता है, उसके सारे कष्ट और संकट दूर हो जाते हैं।

“कृष्णा सर पर हाथ फिराते, साचे मन से जो ध्याते हैं” —
यह बताता है कि जब भक्त सच्चे मन से श्याम जी का ध्यान करता है, तब वे अपने कर-कमलों से भक्त के सिर पर कृपा का हाथ रखते हैं।

🌷 सारांश

यह भजन हमें यह सिखाता है कि —

  • कलयुग में सत्य, प्रेम और भक्ति के मार्ग पर चलना कठिन है,

  • परंतु खाटू श्याम जी की शरण वह दीपक है जो अंधकार में भी प्रकाश देता है।

  • उनका नाम ही आस्था, आशा और उद्धार का प्रतीक बन गया है।

🙏 क्यों गाया जाता है यह भजन

  • श्याम बाबा के प्रति प्रेम और आस्था प्रकट करने के लिए।

  • भक्तों को यह प्रेरणा देने के लिए कि हर कठिन समय में श्याम ही सहारा हैं।

  • कलयुग के भय और भ्रम को दूर कर, भक्ति मार्ग पर अग्रसर होने के लिए।

🎵 कब गाएँ

  • श्याम भजन संध्या, खाटू श्याम आरती, या फाल्गुन मेला के अवसर पर।

  • जब मन में निराशा या भय हो — यह भजन आत्मबल देता है।

  • श्याम मंदिर दर्शन के समय या भक्ति रस में डूबे कीर्तन में।

संक्षिप्त भावार्थ

“जैसे-जैसे कलयुग में अंधकार बढ़ता है, वैसे-वैसे खाटू श्याम जी का प्रकाश जगमगाने लगता है। वे त्रेता में राम, द्वापर में कृष्ण और कलयुग में श्याम बनकर आए — जो भी उन्हें सच्चे मन से पुकारता है, उसकी नैया पार लगाते हैं।”

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