यह अत्यंत भावनात्मक और आत्मसमर्पण से भरा भजन “तड़पता है तेरा ये दास संभालो” श्याम बाबा के चरणों में एक भक्त की विनम्र पुकार है। इसमें भक्त अपने प्रभु से निवेदन करता है कि वह उसकी व्याकुल आत्मा को संभालें, उसका जीवन उनके चरणों में समर्पित करें और अपने दर्शन का वरदान दें।
तड़पता है तेरा ये दास संभालो लिरिक्स
तड़पता है तेरा ये दास संभालो,
मिलन की आस ना टूटे संभालो ।।
तर्ज – अकेले है चले आओ जहा हो ।
ये जीवन भी है थोड़ा, ये सांसे भी है थोड़ी,
है रस्ता सीधा दर का, क्यों मेरी राहे मोड़ी,
मुझे तेरी डगर पर श्याम, चला लो,
मिलन की आस ना टूटे संभालो,
तड़पता है तेरा ये दास संभालो ।।
मेरे दिल में तुम्ही हो, मेरी धड़कन तुम्ही हो,
न भूलो श्याम मुझको, मेरा जीवन तुम्ही हो,
ये बाहे थाम लो बाबा, बचा लो,
मिलन की आस ना टूटे संभालो,
तड़पता है तेरा ये दास संभालो ।।
मैं पागल था दीवाना, तुझे समझा न जाना,
जो भूले मैंने की है, वो तुझको है भुलाना,
मुझे चरणों की सेवा में, लगा लो,
मिलन की आस ना टूटे संभालो,
तड़पता है तेरा ये दास संभालो ।।
तू दानी है दयालु, तू कर किरपा कृपालु,
मुझे दर पे बुलाले, नीत दर्शन मैं पा लू,
जो पर्दा है उसे बाबा, उठालो,
मिलन की आस ना टूटे संभालो,
तड़पता है तेरा ये दास संभालो ।।
लिरिक्स – श्याम अग्रवाल जी, अमित कालरा जी, दिनेश व्याकुल जी, प्रमोद जी
भजन का भाव
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यह भजन एक वियोगी भक्त की तड़प को व्यक्त करता है जो अपने आराध्य श्याम बाबा से मिलन की प्रतीक्षा कर रहा है।
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भक्त कहता है कि जीवन छोटा है, सांसें सीमित हैं, इसलिए अब उसे प्रभु की शरण और साक्षात कृपा चाहिए।
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वह स्वीकार करता है कि उसने जीवन में भूलें की हैं, लेकिन अब वह सच्चे पश्चाताप के साथ चरणों में सेवा चाहता है।
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श्याम बाबा से प्रार्थना करता है कि वे माया का पर्दा हटाकर अपने दर्शन दें और अपने भक्त को अपने समीप बुला लें।
क्यों गाया जाता है यह भजन
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जब मन में भक्ति, विरह और आत्मसमर्पण की भावना हो।
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प्रभु से अपनी भूलों के लिए क्षमा मांगने और नई शुरुआत की प्रेरणा पाने के लिए।
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मन की व्याकुलता, चिंता और दुखों से शांति और स्थिरता पाने के लिए।
कब गाएं
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रात्रिकालीन श्याम भजन संध्या या संकीर्तन में।
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जब मन उदास, असहाय या भगवान से मिलने की तड़प में हो।
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खाटू श्यामजी के दरबार, पूजा या ध्यान के समय।
संक्षिप्त भावार्थ
“हे श्याम बाबा! आपका यह दास तड़प रहा है, कृपा कर इसे संभाल लीजिए। मैं आपकी राह से भटक गया था, अब अपनी डगर पर चला लो। मेरे जीवन में जो भी गलतियाँ हुईं, उन्हें माफ कर दो और मुझे अपने चरणों की सेवा में लगा लो। हे दयालु दाता, अब मुझे अपने दर्शन दो, ताकि मेरे मिलन की आस कभी न टूटे।”
यह भजन गाते समय भक्त का मन श्याम बाबा की करुणा, क्षमा और प्रेम के भावों में डूब जाता है, और उसे यह विश्वास मिलता है कि प्रभु अवश्य उसकी पुकार सुनेंगे।
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